परपेचुअल कॉन्ट्रैक्ट्स के साथ जोखिम प्रबंधन और लीवरेज का सही तरीका

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परपेचुअल कॉन्ट्रैक्ट्स के साथ जोखिम प्रबंधन और लीवरेज का सही तरीका

क्रिप्टोकरेंसी फ्यूचर्स ट्रेडिंग में, परपेचुअल कॉन्ट्रैक्ट्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह लेख आपको परपेचुअल कॉन्ट्रैक्ट्स के साथ जोखिम प्रबंधन और लीवरेज का सही तरीका समझाएगा। हम फ्यूचर्स-विशिष्ट तत्वों, एक्सचेंज तुलना, और ट्रेडिंग मैकेनिक्स पर गहराई से चर्चा करेंगे।

फ्यूचर्स-विशिष्ट तत्व

कॉन्ट्रैक्ट स्पेसिफिकेशन

फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स में एक्सपायरी, मार्जिन, और सेटलमेंट जैसे तत्व शामिल होते हैं। परपेचुअल कॉन्ट्रैक्ट्स और क्वार्टरली फ्यूचर्स के बीच मुख्य अंतर यह है कि परपेचुअल कॉन्ट्रैक्ट्स की कोई एक्सपायरी तिथि नहीं होती है।

फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट स्पेसिफिकेशन तुलना
कॉन्ट्रैक्ट प्रकार एक्सपायरी मार्जिन सेटलमेंट
परपेचुअल नहीं 1-125x नकद
क्वार्टरली 3 महीने 1-50x नकद

फंडिंग रेट मैकेनिज्म

परपेचुअल कॉन्ट्रैक्ट्स में फंडिंग रेट एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह दर हर 8 घंटे में बदलती है और लॉन्ग और शॉर्ट पोजीशन वाले ट्रेडर्स के बीच फंड्स ट्रांसफर करती है।

लिक्विडेशन प्राइस कैलकुलेशन

लिक्विडेशन प्राइस की गणना मार्जिन और लीवरेज के आधार पर की जाती है। उच्च लीवरेज का उपयोग करने से लिक्विडेशन प्राइस आपकी एंट्री प्राइस के करीब आ जाता है।

एक्सचेंज तुलना

लीवरेज लिमिट्स

विभिन्न एक्सचेंजों पर लीवरेज लिमिट्स अलग-अलग होती हैं। Binance, Bybit, और Bitget के बीच तुलना नीचे दी गई है।

एक्सचेंज लीवरेज टियर्स तुलना
एक्सचेंज अधिकतम लीवरेज
Binance 125x
Bybit 100x
Bitget 125x

फीस स्ट्रक्चर

फ्यूचर्स ट्रेडिंग के लिए फीस स्ट्रक्चर भी एक्सचेंज के अनुसार अलग-अलग होता है। Binance और Bybit में फीस क्रमशः 0.02% और 0.01% है।

यूनिक फीचर्स

प्रत्येक एक्सचेंज के अपने यूनिक फीचर्स होते हैं। उदाहरण के लिए, Bybit में हेजिंग मोड और Binance में क्रॉस मार्जिन मोड उपलब्ध है।

ट्रेडिंग मैकेनिक्स

पोजीशन साइजिंग

फ्यूचर्स ट्रेडिंग में पोजीशन साइजिंग बहुत महत्वपूर्ण है। सही पोजीशन साइजिंग से जोखिम कम किया जा सकता है।

क्रॉस/आइसोलेटेड मार्जिन मोड

क्रॉस मार्जिन मोड और आइसोलेटेड मार्जिन मोड के बीच चयन करना महत्वपूर्ण है। क्रॉस मार्जिन मोड में, सभी पोजीशन्स के लिए मार्जिन शेयर किया जाता है, जबकि आइसोलेटेड मार्जिन मोड में प्रत्येक पोजीशन के लिए अलग मार्जिन होता है।

हेजिंग स्ट्रैटेजीज

हेजिंग स्ट्रैटेजीज का उपयोग करके जोखिम को कम किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक लॉन्ग पोजीशन को शॉर्ट पोजीशन से हेज किया जा सकता है।

आर्बिट्रेज अवसर

फ्यूचर्स मार्केट में आर्बिट्रेज अवसर भी मौजूद होते हैं। यह अवसर स्पॉट और फ्यूचर्स मार्केट के बीच प्राइस डिफरेंस से उत्पन्न होते हैं।

निष्कर्ष

परपेचुअल कॉन्ट्रैक्ट्स के साथ ट्रेडिंग करते समय जोखिम प्रबंधन और लीवरेज का सही तरीका समझना बहुत महत्वपूर्ण है। सही फ्यूचर्स ट्रेडिंग स्ट्रैटेजीज और रिस्क मैनेजमेंट फॉर फ्यूचर्स का उपयोग करके आप अपने ट्रेडिंग प्रदर्शन को बेहतर बना सकते हैं।

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