Black-Scholes model
ब्लैक-शोल्स मॉडल
ब्लैक-शोल्स मॉडल, जिसे ब्लैक-शोल्स-मर्टन मॉडल के रूप में भी जाना जाता है, एक गणितीय मॉडल है जिसका उपयोग यूरोपीय विकल्प की कीमत निर्धारित करने के लिए किया जाता है। यह वित्तीय अर्थशास्त्र में सबसे महत्वपूर्ण अवधारणाओं में से एक है और इसका उपयोग व्यापक रूप से वित्तीय बाजार में व्युत्पन्न के मूल्यांकन और जोखिम प्रबंधन के लिए किया जाता है। यह मॉडल 1973 में फिशर ब्लैक और मायरन शोल्स द्वारा विकसित किया गया था, और रॉबर्ट मर्टन ने इसमें बाद में महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसके लिए उन्हें 1997 में अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार मिला।
मॉडल का इतिहास
ब्लैक-शोल्स मॉडल का विकास 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक की शुरुआत में हुआ था, जब विकल्पों का व्यापार तेजी से बढ़ रहा था। उस समय, विकल्पों की कीमत निर्धारित करने का कोई मानकीकृत तरीका नहीं था, और मूल्य निर्धारण अक्सर व्यक्तिपरक और असंगत होता था। ब्लैक और शोल्स ने एक ऐसा मॉडल विकसित करने का लक्ष्य रखा जो विकल्पों की कीमत निर्धारित करने के लिए एक सैद्धांतिक ढांचा प्रदान करे।
उनका मूल विचार यह था कि यदि कोई जोखिम-मुक्त हेज रणनीति का निर्माण कर सकता है जो विकल्प के भुगतान की नकल करती है, तो विकल्प की कीमत उस रणनीति के निर्माण की लागत के बराबर होनी चाहिए। उन्होंने यह दिखाने के लिए इतो का लेम्मा का उपयोग किया कि एक निरंतर चलने वाले ज्यामितीय ब्राउनियन गति का अनुसरण करने वाले स्टॉक के लिए, इस तरह की रणनीति बनाना संभव है।
मॉडल की मान्यताएं
ब्लैक-शोल्स मॉडल कई मान्यताओं पर आधारित है, जिनमें शामिल हैं:
- बाजार दक्षता: बाजार कुशल है, जिसका अर्थ है कि सभी प्रासंगिक जानकारी कीमतों में परिलक्षित होती है।
- कोई मध्यस्थता नहीं: बाजार में कोई मध्यस्थता अवसर नहीं है।
- निरंतर व्यापार: स्टॉक को किसी भी समय खरीदा या बेचा जा सकता है।
- कोई लेनदेन लागत नहीं: विकल्पों के व्यापार से जुड़ी कोई लेनदेन लागत नहीं है।
- जोखिम-मुक्त ब्याज दर निरंतर है: जोखिम-मुक्त ब्याज दर पूरे विकल्प की अवधि के दौरान स्थिर रहती है।
- अंतर्निहित परिसंपत्ति का मूल्य वितरण: अंतर्निहित परिसंपत्ति का मूल्य लॉग-सामान्य वितरण का अनुसरण करता है। इसका मतलब है कि परिसंपत्ति की कीमतें लगातार उतार-चढ़ाव करती रहती हैं, लेकिन दीर्घकालिक रूप से, कीमतों के बढ़ने की संभावना घटने की संभावना से अधिक होती है।
- कोई लाभांश नहीं: अंतर्निहित परिसंपत्ति विकल्प की अवधि के दौरान कोई लाभांश नहीं देती है। (हालांकि, मॉडल को लाभांश का भुगतान करने के लिए समायोजित किया जा सकता है)।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये मान्यताएं वास्तविक दुनिया में पूरी तरह से सच नहीं हैं। हालांकि, वे मॉडल को सरल बनाने और इसे व्यावहारिक बनाने में मदद करते हैं।
मॉडल का सूत्र
ब्लैक-शोल्स मॉडल का सूत्र इस प्रकार है:
C = S * N(d1) - X * e^(-rT) * N(d2)
जहां:
- C कॉल विकल्प की कीमत है।
- S अंतर्निहित परिसंपत्ति का वर्तमान मूल्य है।
- X विकल्प का स्ट्राइक मूल्य है।
- r जोखिम-मुक्त ब्याज दर है।
- T विकल्प की परिपक्वता का समय है, वर्षों में व्यक्त किया गया है।
- e प्राकृतिक लघुगणक का आधार है (लगभग 2.71828)।
- N(x) मानक सामान्य वितरण का संचयी वितरण कार्य है।
- d1 = [ln(S/X) + (r + σ^2/2) * T] / (σ * √T)
- d2 = d1 - σ * √T
- σ अंतर्निहित परिसंपत्ति की अस्थिरता है।
मॉडल के घटक
- अंतर्निहित परिसंपत्ति मूल्य (S): यह वह संपत्ति है जिस पर विकल्प आधारित है, जैसे कि स्टॉक, कमोडिटी, या क्रिप्टोकरेंसी।
- स्ट्राइक मूल्य (X): यह वह मूल्य है जिस पर विकल्प धारक अंतर्निहित परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने का अधिकार रखता है।
- समय (T): यह विकल्प की परिपक्वता का समय है, वर्षों में व्यक्त किया गया है।
- जोखिम-मुक्त ब्याज दर (r): यह एक निवेश पर रिटर्न की वह दर है जिसमें कोई जोखिम नहीं होता है, जैसे कि सरकारी बॉन्ड पर रिटर्न।
- अस्थिरता (σ): यह अंतर्निहित परिसंपत्ति के मूल्य में उतार-चढ़ाव की मात्रा का माप है। अस्थिरता को अक्सर ऐतिहासिक अस्थिरता या निहित अस्थिरता के रूप में मापा जाता है।
मॉडल का उपयोग
ब्लैक-शोल्स मॉडल का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- विकल्पों का मूल्य निर्धारण: मॉडल का उपयोग कॉल विकल्प और पुट विकल्प दोनों की कीमत निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है।
- जोखिम प्रबंधन: मॉडल का उपयोग विकल्प पोर्टफोलियो के जोखिम को मापने और प्रबंधित करने के लिए किया जा सकता है।
- हेजिंग: मॉडल का उपयोग विकल्प पोर्टफोलियो को हेज करने के लिए किया जा सकता है, जिसका अर्थ है कि पोर्टफोलियो को प्रतिकूल मूल्य आंदोलनों से बचाया जा सकता है।
- निवेश निर्णय: मॉडल का उपयोग निवेश निर्णय लेने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि यह तय करना कि कोई विकल्प खरीदना है या नहीं।
क्रिप्टो फ्यूचर्स में ब्लैक-शोल्स मॉडल
ब्लैक-शोल्स मॉडल को मूल रूप से स्टॉक विकल्पों के लिए विकसित किया गया था, लेकिन इसे क्रिप्टो फ्यूचर्स जैसे अन्य प्रकार के व्युत्पन्न के मूल्य निर्धारण के लिए भी अनुकूलित किया जा सकता है। हालांकि, क्रिप्टो फ्यूचर्स के लिए मॉडल का उपयोग करते समय कुछ अतिरिक्त विचारों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है।
- अस्थिरता: क्रिप्टोकरेंसी में स्टॉक की तुलना में अधिक अस्थिरता होती है। इसलिए, क्रिप्टो फ्यूचर्स के लिए मॉडल का उपयोग करते समय सटीक अस्थिरता अनुमान प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। निहित अस्थिरता का उपयोग करना एक सामान्य तरीका है।
- जोखिम-मुक्त दर: क्रिप्टो बाजार में जोखिम-मुक्त दर को निर्धारित करना मुश्किल हो सकता है। आमतौर पर, अमेरिकी ट्रेजरी बिलों की दर का उपयोग एक प्रॉक्सी के रूप में किया जाता है।
- लाभांश: क्रिप्टोकरेंसी लाभांश का भुगतान नहीं करती है, इसलिए इस पहलू पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है।
- बाजार दक्षता: क्रिप्टो बाजार स्टॉक बाजारों की तुलना में कम कुशल हो सकते हैं। इसका मतलब है कि मूल्य निर्धारण विसंगतियां होने की अधिक संभावना है।
ब्लैक-शोल्स मॉडल की सीमाएं
ब्लैक-शोल्स मॉडल एक शक्तिशाली उपकरण है, लेकिन इसकी कुछ सीमाएं भी हैं।
- मान्यताएं: मॉडल कई मान्यताओं पर आधारित है जो वास्तविक दुनिया में पूरी तरह से सच नहीं हैं।
- अस्थिरता अनुमान: सटीक अस्थिरता अनुमान प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है, खासकर क्रिप्टो बाजार में।
- गैर-यूरोपीय विकल्प: मॉडल केवल यूरोपीय विकल्पों के लिए ही लागू होता है, जिन्हें परिपक्वता से पहले प्रयोग नहीं किया जा सकता है। अमेरिकी विकल्पों का मूल्यांकन करने के लिए, अधिक जटिल मॉडल की आवश्यकता होती है।
- एक्सट्रीम इवेंट्स: मॉडल चरम घटनाओं, जैसे कि ब्लैक स्वान घटनाओं के लिए अच्छी तरह से काम नहीं कर सकता है।
ब्लैक-शोल्स मॉडल के विकल्प
ब्लैक-शोल्स मॉडल के अलावा, कई अन्य मॉडल हैं जिनका उपयोग विकल्पों की कीमत निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है। इनमें शामिल हैं:
- द्विपद वृक्ष मॉडल: यह मॉडल विकल्प की कीमत को समय के साथ विकसित करने के लिए एक द्विपद वृक्ष का उपयोग करता है।
- मोंटे कार्लो सिमुलेशन: यह मॉडल विकल्प की कीमत का अनुमान लगाने के लिए यादृच्छिक सिमुलेशन का उपयोग करता है।
- हेज्ड मॉडल: ये मॉडल ब्लैक-शोल्स मॉडल की कुछ सीमाओं को दूर करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जैसे कि अस्थिरता मुस्कान।
निष्कर्ष
ब्लैक-शोल्स मॉडल वित्तीय अर्थशास्त्र में एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इसका उपयोग विकल्पों की कीमत निर्धारित करने, जोखिम का प्रबंधन करने और निवेश निर्णय लेने के लिए किया जा सकता है। क्रिप्टो फ्यूचर्स के लिए मॉडल का उपयोग करते समय कुछ अतिरिक्त विचारों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है, लेकिन यह अभी भी एक मूल्यवान उपकरण हो सकता है। मॉडल की सीमाओं को समझना और आवश्यकतानुसार अन्य मॉडलों का उपयोग करने के लिए तैयार रहना भी महत्वपूर्ण है।
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