फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट

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फ्यूचर्स अनुबंध

फ्यूचर्स अनुबंध एक मानकीकृत कानूनी समझौता है जो भविष्य की एक विशिष्ट तिथि पर एक विशिष्ट मूल्य पर एक संपत्ति खरीदने या बेचने के लिए दायित्व स्थापित करता है। यह खरीदार और विक्रेता दोनों के लिए एक बाध्यकारी समझौता है, भले ही वे उस तिथि पर संपत्ति का वास्तव में आदान-प्रदान न करें। डेरिवेटिव्स की दुनिया में फ्यूचर्स अनुबंध एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और वित्तीय बाजार में जोखिम प्रबंधन और सट्टा दोनों के लिए इनका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

फ्यूचर्स अनुबंधों का इतिहास

फ्यूचर्स अनुबंधों का इतिहास काफी पुराना है। उनकी उत्पत्ति 19वीं सदी के मध्य में अमेरिकी कृषि बाजारों में हुई थी, जब किसानों को अपनी फसलों के लिए एक निश्चित कीमत प्राप्त करने का एक तरीका चाहिए था और खरीदारों को भविष्य में उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित करने का एक तरीका चाहिए था। शुरुआत में, ये अनुबंध अनौपचारिक थे और मौखिक समझौतों पर आधारित थे। हालांकि, जैसे-जैसे बाजार अधिक जटिल होते गए, मानकीकृत अनुबंधों और एक केंद्रीकृत एक्सचेंज की आवश्यकता महसूस हुई। 1848 में, शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (Chicago Board of Trade - CBOT) की स्थापना हुई, जो आधुनिक फ्यूचर्स ट्रेडिंग का जन्मस्थान माना जाता है।

फ्यूचर्स अनुबंधों के घटक

एक फ्यूचर्स अनुबंध में कई महत्वपूर्ण घटक होते हैं:

  • अंतर्निहित संपत्ति (Underlying Asset): यह वह वस्तु या वित्तीय साधन है जिस पर अनुबंध आधारित है। यह कमोडिटी (जैसे सोना, तेल, गेहूं), मुद्राएं, स्टॉक इंडेक्स या क्रिप्टोकरेंसी हो सकता है।
  • अनुबंध का आकार (Contract Size): यह अंतर्निहित संपत्ति की मात्रा को निर्दिष्ट करता है जिसे एक अनुबंध का प्रतिनिधित्व करता है। उदाहरण के लिए, एक सोना फ्यूचर्स अनुबंध आमतौर पर 100 औंस सोने का प्रतिनिधित्व करता है।
  • वितरण तिथि (Delivery Date): यह वह तिथि है जिस पर अंतर्निहित संपत्ति का आदान-प्रदान होना है।
  • फ्यूचर्स मूल्य (Futures Price): यह वह मूल्य है जिस पर खरीदार और विक्रेता भविष्य में संपत्ति का आदान-प्रदान करने के लिए सहमत होते हैं।
  • टिक आकार (Tick Size): यह मूल्य में न्यूनतम परिवर्तन है जिसे अनुबंध कर सकता है।
  • मार्जिन (Margin): यह एक प्रकार की सुरक्षा जमा है जिसे खरीदार और विक्रेता दोनों को अनुबंध में प्रवेश करने के लिए जमा करना होता है।

फ्यूचर्स अनुबंध कैसे काम करते हैं

फ्यूचर्स अनुबंधों का कामकाज थोड़ा जटिल हो सकता है, लेकिन मूल अवधारणा सरल है। मान लीजिए कि एक किसान भविष्य में गेहूं बेचने के लिए एक फ्यूचर्स अनुबंध में प्रवेश करता है। किसान एक निश्चित मूल्य पर एक विशिष्ट तिथि पर गेहूं बेचने के लिए सहमत होता है। यदि गेहूं की कीमत उस तिथि पर गिर जाती है, तो किसान को लाभ होगा क्योंकि उसने पहले ही एक उच्च कीमत पर बेचने के लिए सहमति दे दी थी। दूसरी ओर, यदि गेहूं की कीमत बढ़ जाती है, तो किसान को नुकसान होगा क्योंकि उसे अनुबंध में सहमत कम कीमत पर गेहूं बेचना होगा।

इसी तरह, एक सट्टेबाज जो मानता है कि गेहूं की कीमत बढ़ेगी, वह एक फ्यूचर्स अनुबंध खरीद सकता है। यदि उसकी भविष्यवाणी सही साबित होती है, तो वह अनुबंध को लाभ पर बेच सकता है। यदि उसकी भविष्यवाणी गलत साबित होती है, तो वह नुकसान उठाएगा।

फ्यूचर्स अनुबंधों के लाभ

फ्यूचर्स अनुबंधों के कई लाभ हैं:

  • मूल्य खोज (Price Discovery): फ्यूचर्स बाजार अंतर्निहित संपत्ति के लिए मूल्य खोज में मदद करते हैं।
  • जोखिम प्रबंधन (Risk Management): फ्यूचर्स अनुबंधों का उपयोग मूल्य जोखिम को हेज करने के लिए किया जा सकता है।
  • सट्टा (Speculation): फ्यूचर्स अनुबंधों का उपयोग मूल्य आंदोलनों पर सट्टा लगाने के लिए किया जा सकता है।
  • तरलता (Liquidity): फ्यूचर्स बाजार आमतौर पर बहुत तरल होते हैं, जिसका अर्थ है कि अनुबंधों को आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है।

फ्यूचर्स अनुबंधों के नुकसान

फ्यूचर्स अनुबंधों के कुछ नुकसान भी हैं:

  • लीवरेज (Leverage): फ्यूचर्स अनुबंधों में उच्च स्तर का लीवरेज शामिल होता है, जिसका अर्थ है कि छोटे मूल्य परिवर्तन भी महत्वपूर्ण लाभ या हानि का कारण बन सकते हैं।
  • जटिलता (Complexity): फ्यूचर्स अनुबंधों को समझना जटिल हो सकता है।
  • मार्जिन कॉल (Margin Calls): यदि बाजार आपके खिलाफ जाता है, तो आपको अतिरिक्त मार्जिन जमा करने के लिए कहा जा सकता है।
  • वितरण जोखिम (Delivery Risk): यदि आप एक भौतिक संपत्ति के लिए फ्यूचर्स अनुबंध में प्रवेश करते हैं, तो आपको अंतर्निहित संपत्ति का वितरण लेने के लिए तैयार रहना होगा।

क्रिप्टो फ्यूचर्स

क्रिप्टो फ्यूचर्स डिजिटल संपत्तियों पर आधारित फ्यूचर्स अनुबंध हैं, जैसे बिटकॉइन और एथेरियम। पारंपरिक फ्यूचर्स बाजारों के समान, क्रिप्टो फ्यूचर्स व्यापारियों को भविष्य की एक विशिष्ट तिथि पर एक विशिष्ट मूल्य पर क्रिप्टोकरेंसी खरीदने या बेचने की अनुमति देते हैं। क्रिप्टो फ्यूचर्स बाजार हाल के वर्षों में तेजी से लोकप्रिय हो गए हैं, क्योंकि वे व्यापारियों को क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों पर सट्टा लगाने और अपने पोर्टफोलियो में जोखिम को हेज करने का एक तरीका प्रदान करते हैं।

क्रिप्टो फ्यूचर्स में कुछ विशिष्ट विशेषताएं हैं:

  • उच्च अस्थिरता (High Volatility): क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें बहुत अस्थिर हो सकती हैं, जिसका अर्थ है कि क्रिप्टो फ्यूचर्स में व्यापार करना जोखिम भरा हो सकता है।
  • 24/7 ट्रेडिंग (24/7 Trading): क्रिप्टो फ्यूचर्स बाजार 24 घंटे, सप्ताह में 7 दिन खुले रहते हैं।
  • कमोडिटी एक्सचेंज (Commodity Exchange) का अभाव: अधिकांश क्रिप्टो फ्यूचर्स अनुबंध क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर कारोबार करते हैं, पारंपरिक कमोडिटी एक्सचेंजों पर नहीं।

फ्यूचर्स ट्रेडिंग रणनीतियाँ

कई अलग-अलग फ्यूचर्स ट्रेडिंग रणनीतियाँ हैं जिनका उपयोग व्यापारी अपने लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के आधार पर कर सकते हैं। कुछ लोकप्रिय रणनीतियों में शामिल हैं:

  • दीर्घकालिक ट्रेंड फॉलोइंग (Long-Term Trend Following): इस रणनीति में दीर्घकालिक मूल्य रुझानों की पहचान करना और उस दिशा में व्यापार करना शामिल है। तकनीकी विश्लेषण का उपयोग अक्सर रुझानों की पहचान करने के लिए किया जाता है।
  • स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading): इस रणनीति में अल्पकालिक मूल्य स्विंग का लाभ उठाना शामिल है।
  • डे ट्रेडिंग (Day Trading): इस रणनीति में एक ही दिन में पदों को खोलना और बंद करना शामिल है।
  • आर्बिट्राज (Arbitrage): इस रणनीति में विभिन्न बाजारों में मूल्य अंतर का लाभ उठाना शामिल है।
  • हेजिंग (Hedging): इस रणनीति में मूल्य जोखिम को कम करने के लिए फ्यूचर्स अनुबंधों का उपयोग करना शामिल है। पोर्टफोलियो विविधीकरण का भी उपयोग किया जा सकता है।

तकनीकी विश्लेषण और फ्यूचर्स

तकनीकी विश्लेषण फ्यूचर्स ट्रेडिंग में एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह ऐतिहासिक मूल्य डेटा और चार्ट पैटर्न का उपयोग करके भविष्य के मूल्य आंदोलनों की भविष्यवाणी करने का प्रयास करता है। तकनीकी विश्लेषण में उपयोग किए जाने वाले कुछ सामान्य उपकरणों में शामिल हैं:

  • मूविंग एवरेज (Moving Averages): ये मूल्य डेटा को सुचारू करने और रुझानों की पहचान करने में मदद करते हैं।
  • रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (Relative Strength Index - RSI): यह एक गति संकेतक है जो यह मापने में मदद करता है कि कोई संपत्ति ओवरबॉट या ओवरसोल्ड है या नहीं।
  • मैकडी (Moving Average Convergence Divergence - MACD): यह एक गति संकेतक है जो दो मूविंग एवरेज के बीच संबंध को दर्शाता है।
  • फिबोनाची रिट्रेसमेंट (Fibonacci Retracement): ये स्तर संभावित समर्थन और प्रतिरोध क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करते हैं।
  • चार्ट पैटर्न (Chart Patterns): हेड एंड शोल्डर, डबल टॉप और डबल बॉटम जैसे चार्ट पैटर्न भविष्य के मूल्य आंदोलनों के बारे में संकेत प्रदान कर सकते हैं। कैंडलस्टिक पैटर्न भी महत्वपूर्ण हैं।

ट्रेडिंग वॉल्यूम विश्लेषण

ट्रेडिंग वॉल्यूम फ्यूचर्स अनुबंधों के लिए बाजार की ताकत और दिशा की पुष्टि करने में मदद करता है। उच्च वॉल्यूम के साथ मूल्य आंदोलनों को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

  • वॉल्यूम स्पाइक (Volume Spike): वॉल्यूम में अचानक वृद्धि महत्वपूर्ण मूल्य आंदोलन का संकेत दे सकती है।
  • वॉल्यूम कन्फर्मेशन (Volume Confirmation): यदि मूल्य आंदोलन ट्रेडिंग वॉल्यूम द्वारा समर्थित है, तो यह एक मजबूत संकेत है।
  • वॉल्यूम डायवर्जेंस (Volume Divergence): यदि मूल्य और वॉल्यूम के बीच विसंगति है, तो यह एक संभावित उलटफेर का संकेत दे सकता है।

निष्कर्ष

फ्यूचर्स अनुबंध एक जटिल वित्तीय साधन हैं जो जोखिम प्रबंधन और सट्टा दोनों के लिए उपयोग किए जा सकते हैं। क्रिप्टो फ्यूचर्स बाजार हाल के वर्षों में तेजी से लोकप्रिय हो गए हैं, लेकिन वे उच्च स्तर के जोखिम के साथ आते हैं। फ्यूचर्स ट्रेडिंग में भाग लेने से पहले, यह समझना महत्वपूर्ण है कि वे कैसे काम करते हैं और शामिल जोखिमों को समझना जरूरी है। जोखिम प्रबंधन और अच्छी तरह से परिभाषित ट्रेडिंग योजना सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं।

विकल्प और स्पॉट मार्केट जैसे अन्य डेरिवेटिव्स के बारे में भी जानकारी प्राप्त करना उपयोगी हो सकता है।

फ्यूचर्स ब्रोकर का चयन करते समय सावधानी बरतें और सुनिश्चित करें कि वे विनियमित हैं और एक सुरक्षित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं।

फ्यूचर्स एक्सचेंज की लिस्टिंग, नियमों और विनियमन को समझना भी महत्वपूर्ण है।

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