क्रेडिट डिफ़ॉल्ट स्वैप

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क्रेडिट डिफ़ॉल्ट स्वैप

क्रेडिट डिफ़ॉल्ट स्वैप (CDS) एक प्रकार का वित्तीय डेरिवेटिव है जो एक विशिष्ट ऋण साधन या ऋणों के पोर्टफोलियो पर क्रेडिट जोखिम को स्थानांतरित करने का एक साधन प्रदान करता है। सरल शब्दों में, यह एक प्रकार का बीमा है जो किसी निवेशक को ऋण जारीकर्ता के डिफ़ॉल्ट होने की स्थिति में नुकसान से बचाता है। CDS बाजार 2008 के वित्तीय संकट में अपनी भूमिका के लिए कुख्यात हो गया, लेकिन यह क्रेडिट जोखिम प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बना हुआ है।

CDS का मूलभूत सिद्धांत

CDS एक दो-पक्षीय अनुबंध है, जिसमें एक पक्ष "सुरक्षा खरीदार" होता है जो डिफॉल्ट के खिलाफ सुरक्षा चाहता है, और दूसरा पक्ष "सुरक्षा विक्रेता" होता है जो डिफॉल्ट के जोखिम को लेने के लिए सहमत होता है। सुरक्षा खरीदार नियमित रूप से सुरक्षा विक्रेता को एक प्रीमियम का भुगतान करता है, जिसे CDS स्प्रेड के रूप में जाना जाता है। बदले में, यदि संदर्भ इकाई (वह ऋण या ऋणों का पोर्टफोलियो जिस पर CDS आधारित है) डिफ़ॉल्ट हो जाती है, तो सुरक्षा विक्रेता सुरक्षा खरीदार को नुकसान की राशि का भुगतान करता है।

उदाहरण के लिए, एक निवेशक के पास XYZ Corporation के बांड हैं। निवेशक को XYZ Corporation के डिफ़ॉल्ट होने की चिंता है। निवेशक XYZ Corporation पर एक CDS खरीद सकता है। इस CDS के तहत, निवेशक सुरक्षा विक्रेता को नियमित रूप से एक प्रीमियम का भुगतान करेगा। यदि XYZ Corporation डिफ़ॉल्ट हो जाती है, तो सुरक्षा विक्रेता निवेशक को बांड के मूल्य में गिरावट की राशि का भुगतान करेगा।

CDS की संरचना

एक मानक CDS अनुबंध में कई महत्वपूर्ण घटक होते हैं:

  • **संदर्भ इकाई (Reference Entity):** वह इकाई (जैसे, एक कंपनी, एक देश) जिसका डिफ़ॉल्ट जोखिम CDS अनुबंध का आधार है।
  • **संदर्भ दायित्व (Reference Obligation):** वह विशिष्ट ऋण उपकरण (जैसे, बांड, ऋण) जिस पर डिफ़ॉल्ट इवेंट का मूल्यांकन किया जाएगा।
  • **सुरक्षा खरीदार (Protection Buyer):** वह पक्ष जो डिफ़ॉल्ट के खिलाफ सुरक्षा खरीदता है।
  • **सुरक्षा विक्रेता (Protection Seller):** वह पक्ष जो डिफ़ॉल्ट के जोखिम को लेने के लिए सहमत होता है।
  • **CDS स्प्रेड (CDS Spread):** सुरक्षा खरीदार द्वारा सुरक्षा विक्रेता को भुगतान किया जाने वाला वार्षिक प्रीमियम, संदर्भ दायित्व के अंकित मूल्य के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
  • **नियमन घटना (Credit Event):** ऐसी घटनाएँ जो डिफ़ॉल्ट के रूप में योग्य हैं, जैसे कि दिवालियापन, ऋण पुनर्गठन, या भुगतान में विफलता।
  • **सेटलमेंट (Settlement):** डिफ़ॉल्ट घटना होने पर नुकसान की गणना और भुगतान करने की प्रक्रिया। सेटलमेंट भौतिक वितरण (संदर्भ दायित्व का वास्तविक हस्तांतरण) या नकदी सेटलमेंट (संदर्भ दायित्व के बाजार मूल्य के बराबर नकदी भुगतान) के माध्यम से हो सकता है।

CDS का कार्य

CDS कई महत्वपूर्ण कार्य करता है:

  • **क्रेडिट जोखिम प्रबंधन:** CDS निवेशकों को क्रेडिट जोखिम को कम करने या स्थानांतरित करने की अनुमति देता है।
  • **मूल्य खोज:** CDS स्प्रेड बाजार में क्रेडिट जोखिम की धारणा का एक संकेत प्रदान करते हैं। CDS स्प्रेड जितना अधिक होगा, संदर्भ इकाई के डिफ़ॉल्ट होने की संभावना उतनी ही अधिक मानी जाएगी।
  • **सट्टा:** CDS का उपयोग क्रेडिट जोखिम पर सट्टा लगाने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक निवेशक जो मानता है कि किसी कंपनी का क्रेडिट जोखिम बढ़ने वाला है, वह उस कंपनी पर CDS खरीद सकता है।
  • **आर्बिट्राज:** CDS का उपयोग समान क्रेडिट जोखिम वाले विभिन्न उपकरणों के बीच आर्बिट्राज अवसरों का लाभ उठाने के लिए किया जा सकता है।

CDS बाजार

CDS बाजार एक ओवर-द-काउंटर (OTC) बाजार है, जिसका अर्थ है कि व्यापार सीधे दो पार्टियों के बीच होता है, किसी केंद्रीकृत एक्सचेंज के माध्यम से नहीं। यह बाजार अत्यधिक तरल हो सकता है, खासकर प्रमुख संदर्भ संस्थाओं के लिए। CDS बाजार में ट्रेडिंग वॉल्यूम क्रेडिट की स्थिति और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर काफी भिन्न हो सकता है।

CDS का उपयोग कैसे किया जाता है

CDS का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है:

  • **हेजिंग (Hedging):** एक निवेशक जो क्रेडिट जोखिम से अवगत है, वह अपने पोर्टफोलियो को हेज करने के लिए CDS का उपयोग कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक बैंक जो एक कंपनी को ऋण दे चुका है, वह उस कंपनी पर CDS खरीद सकता है ताकि ऋण डिफ़ॉल्ट होने की स्थिति में नुकसान से बचा जा सके।
  • **सट्टा (Speculation):** एक निवेशक जो मानता है कि किसी कंपनी का क्रेडिट जोखिम बढ़ने वाला है, वह उस कंपनी पर CDS खरीद सकता है। यदि कंपनी डिफ़ॉल्ट हो जाती है, तो निवेशक CDS के माध्यम से लाभ कमाएगा।
  • **आर्बिट्राज (Arbitrage):** एक निवेशक CDS और अन्य क्रेडिट उपकरणों के बीच मूल्य विसंगतियों का लाभ उठा सकता है।

CDS और 2008 का वित्तीय संकट

2008 के वित्तीय संकट में CDS की एक महत्वपूर्ण भूमिका थी। संकट से पहले, CDS का व्यापक रूप से सबप्राइम मॉर्टगेज-समर्थित प्रतिभूतियों (MBS) पर क्रेडिट जोखिम को हेज करने के लिए उपयोग किया जाता था। हालांकि, जैसे-जैसे MBS की गुणवत्ता खराब होने लगी, CDS स्प्रेड बढ़ने लगे। इससे CDS बाजार में एक क्रेडिट क्रंच पैदा हो गया, जिससे कई वित्तीय संस्थानों को भारी नुकसान हुआ।

संकट के दौरान, यह पता चला कि कुछ वित्तीय संस्थान CDS अनुबंधों के माध्यम से अत्यधिक जोखिम ले रहे थे। इसके अलावा, CDS बाजार में पारदर्शिता की कमी थी, जिससे जोखिमों का आकलन करना मुश्किल हो गया था। संकट के बाद, CDS बाजार को विनियमित करने के लिए कई कदम उठाए गए, जिसमें केंद्रीय समाशोधन की आवश्यकता और पारदर्शिता में सुधार शामिल है।

CDS के लाभ और जोखिम

  • **लाभ:**
   *   क्रेडिट जोखिम को कम करने या स्थानांतरित करने की क्षमता।
   *   क्रेडिट जोखिम पर मूल्य खोज और सट्टा लगाने का अवसर।
   *   पोर्टफोलियो विविधीकरण के लिए एक उपकरण।
  • **जोखिम:**
   *   काउंटरपार्टी जोखिम: CDS अनुबंधों को निष्पादित करने में सुरक्षा विक्रेता की विफलता का जोखिम।
   *   तरलता जोखिम: CDS अनुबंध को जल्दी से बेचने में असमर्थता का जोखिम।
   *   मॉडल जोखिम: CDS मूल्य निर्धारण मॉडल की सटीकता पर निर्भरता का जोखिम।
   *   सिस्टमिक जोखिम: CDS बाजार में विफलता का जोखिम जो पूरे वित्तीय प्रणाली को अस्थिर कर सकता है।

CDS मूल्य निर्धारण

CDS मूल्य निर्धारण जटिल है और इसमें कई कारकों पर विचार करना शामिल है, जिनमें शामिल हैं:

  • संदर्भ इकाई की क्रेडिट रेटिंग।
  • संदर्भ दायित्व की परिपक्वता।
  • CDS स्प्रेड।
  • ब्याज दरें।
  • बाजार की तरलता।

CDS मूल्य निर्धारण मॉडल का उपयोग CDS स्प्रेड का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। इन मॉडलों में आमतौर पर क्रेडिट डिफॉल्ट इंटेंसिटी (CDI) और रिकवरी रेट जैसे इनपुट शामिल होते हैं। CDI संदर्भ इकाई के डिफ़ॉल्ट होने की संभावना का माप है, जबकि रिकवरी रेट डिफ़ॉल्ट होने की स्थिति में निवेशकों को वापस मिलने वाली राशि का अनुमान है।

CDS पर नियामक परिदृश्य

2008 के वित्तीय संकट के बाद, CDS बाजार को विनियमित करने के लिए कई कदम उठाए गए। इन कदमों में शामिल हैं:

  • **डोड-फ्रैंक वॉल स्ट्रीट रिफॉर्म एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (Dodd-Frank Act):** इस अधिनियम में CDS सहित अधिकांश OTC डेरिवेटिव को केंद्रीय समाशोधन के माध्यम से निर्देशित किया गया।
  • **अंतर्राष्ट्रीय स्वाप एंड डेरिवेटिव एसोसिएशन (ISDA):** ISDA CDS अनुबंधों के लिए मानकीकृत दस्तावेज़ और प्रक्रियाओं को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • **नियामक निरीक्षण:** वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB) और अन्य नियामक निकाय CDS बाजार की निगरानी करते हैं ताकि सिस्टमिक जोखिम को कम किया जा सके।

CDS और अन्य क्रेडिट डेरिवेटिव

CDS कई अन्य क्रेडिट डेरिवेटिव से संबंधित है, जिनमें शामिल हैं:

  • **क्रेडिट-लिंक्ड नोट्स (CLNs):** ये ऋण उपकरण हैं जो क्रेडिट घटना से जुड़े हैं।
  • **टोटल रिटर्न स्वैप (TRS):** ये स्वैप हैं जो एक परिसंपत्ति के कुल रिटर्न (ब्याज और पूंजी प्रशंसा) को स्थानांतरित करते हैं।
  • **क्रेडिट डिफ़ॉल्ट बास्केट (CDX):** ये CDS सूचकांक हैं जो कई संदर्भ संस्थाओं के डिफ़ॉल्ट जोखिम को ट्रैक करते हैं।

भविष्य के रुझान

CDS बाजार लगातार विकसित हो रहा है। भविष्य के रुझानों में शामिल हैं:

  • **डिजिटल CDS:** ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का उपयोग करके CDS को डिजिटल रूप से जारी करने और व्यापार करने की क्षमता।
  • **कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI):** क्रेडिट जोखिम मॉडलिंग और मूल्य निर्धारण में AI का उपयोग।
  • **पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) कारक:** CDS मूल्य निर्धारण में ESG कारकों का बढ़ता महत्व।

तकनीकी विश्लेषण और CDS

CDS स्प्रेड का विश्लेषण करने के लिए तकनीकी विश्लेषण का उपयोग किया जा सकता है। चार्ट पैटर्न और तकनीकी संकेतकों का उपयोग संभावित रुझानों और मूल्य स्तरों की पहचान करने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, CDS स्प्रेड में ब्रेकआउट एक महत्वपूर्ण क्रेडिट घटना का संकेत दे सकता है।

ट्रेडिंग वॉल्यूम विश्लेषण और CDS

ट्रेडिंग वॉल्यूम का विश्लेषण CDS बाजार में गतिविधि के स्तर और निवेशकों की धारणा के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है। ट्रेडिंग वॉल्यूम में वृद्धि अक्सर क्रेडिट जोखिम के बारे में बढ़ती चिंता का संकेत देती है।

निष्कर्ष

क्रेडिट डिफ़ॉल्ट स्वैप एक जटिल वित्तीय उपकरण है जिसका उपयोग क्रेडिट जोखिम को प्रबंधित करने, सट्टा लगाने और आर्बिट्राज अवसरों का लाभ उठाने के लिए किया जा सकता है। 2008 के वित्तीय संकट में CDS की भूमिका के कारण, बाजार को विनियमित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। CDS बाजार लगातार विकसित हो रहा है, और भविष्य में डिजिटल CDS और AI का उपयोग जैसे नए रुझान उभरने की संभावना है। जोखिम प्रबंधन, वित्तीय मॉडलिंग, पोर्टफोलियो प्रबंधन और निवेश रणनीति के पहलुओं को समझने के लिए CDS का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है।

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