ओबीवी का उपयोग
ओबीवी का उपयोग
ओबीवी, या ऑन बैलेंस वॉल्यूम, एक तकनीकी विश्लेषण उपकरण है जो मूल्य परिवर्तन और ट्रेडिंग वॉल्यूम के बीच संबंध को मापता है। यह एक संचयी संकेतक है जो सकारात्मक और नकारात्मक वॉल्यूम को जोड़ता है, जिसका उपयोग संभावित मूल्य परिवर्तनों की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है। ओबीवी का उपयोग क्रिप्टो फ्यूचर्स सहित वित्तीय बाजारों में किया जा सकता है। यह लेख शुरुआती लोगों के लिए ओबीवी को समझने और उसका उपयोग करने के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका प्रदान करेगा।
ओबीवी क्या है?
ओबीवी को पहली बार 1963 में जोसेफ ग्रैविग्नन ने पेश किया था। ग्रैविग्नन का मानना था कि वॉल्यूम मूल्य परिवर्तनों की पुष्टि करता है। इसका मतलब है कि यदि मूल्य बढ़ रहा है और वॉल्यूम भी बढ़ रहा है, तो यह ऊपर की ओर रुझान को मजबूत करता है। इसके विपरीत, यदि मूल्य गिर रहा है और वॉल्यूम बढ़ रहा है, तो यह नीचे की ओर रुझान को मजबूत करता है।
ओबीवी एक संचयी संकेतक है, जिसका अर्थ है कि यह समय के साथ मूल्य और वॉल्यूम डेटा को जोड़ता है। ओबीवी की गणना निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करके की जाती है:
ओबीवी = पिछला ओबीवी + आज का वॉल्यूम अगर आज की कीमत > पिछली कीमत ओबीवी = पिछला ओबीवी - आज का वॉल्यूम अगर आज की कीमत < पिछली कीमत ओबीवी = पिछला ओबीवी अगर आज की कीमत = पिछली कीमत
मूल रूप से, यदि आज की समापन कीमत पिछली कीमत से अधिक है, तो आज का वॉल्यूम ओबीवी में जोड़ा जाता है। यदि आज की समापन कीमत पिछली कीमत से कम है, तो आज का वॉल्यूम ओबीवी से घटाया जाता है। यदि कीमत अपरिवर्तित रहती है, तो ओबीवी अपरिवर्तित रहता है।
ओबीवी की व्याख्या कैसे करें
ओबीवी रेखा को मूल्य चार्ट के नीचे एक अलग संकेतक के रूप में प्लॉट किया जाता है। इसे समझने के लिए कुछ महत्वपूर्ण पहलू यहां दिए गए हैं:
- ओबीवी और मूल्य विचलन: जब ओबीवी और मूल्य अलग-अलग दिशाओं में जा रहे होते हैं, तो यह संभावित मूल्य रिवर्सल का संकेत दे सकता है। उदाहरण के लिए, यदि मूल्य नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है, लेकिन ओबीवी नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में विफल रहता है (बैरिश विचलन), तो यह एक बुलिश रुझान के कमजोर होने का संकेत हो सकता है। इसके विपरीत, यदि मूल्य नई नीची ओर जा रहा है, लेकिन ओबीवी नई नीची ओर जा रहा है (बुलिश विचलन), तो यह एक बेयरिश रुझान के कमजोर होने का संकेत हो सकता है।
- ओबीवी ब्रेकआउट: जब ओबीवी एक प्रतिरोध स्तर को तोड़ता है, तो यह एक मजबूत बुलिश संकेत है। इसके विपरीत, जब ओबीवी एक समर्थन स्तर को तोड़ता है, तो यह एक मजबूत बेयरिश संकेत है।
- ओबीवी और समर्थन/प्रतिरोध: ओबीवी रेखा स्वयं समर्थन और प्रतिरोध स्तरों के रूप में कार्य कर सकती है। यदि ओबीवी एक समर्थन स्तर पर वापस आ जाता है, तो यह मूल्य में उछाल का संकेत दे सकता है। यदि ओबीवी एक प्रतिरोध स्तर पर वापस आ जाता है, तो यह मूल्य में गिरावट का संकेत दे सकता है।
- शून्य रेखा क्रॉसओवर: ओबीवी शून्य रेखा को पार करने से संभावित ट्रेंड रिवर्सल का संकेत मिल सकता है। शून्य रेखा से ऊपर का क्रॉसओवर बुलिश संकेत है, जबकि शून्य रेखा से नीचे का क्रॉसओवर बेयरिश संकेत है।
क्रिप्टो फ्यूचर्स ट्रेडिंग में ओबीवी का उपयोग कैसे करें
ओबीवी का उपयोग विभिन्न ट्रेडिंग रणनीतियों में किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- पुष्टि: ओबीवी का उपयोग मूल्य रुझानों की पुष्टि के लिए किया जा सकता है। यदि मूल्य बढ़ रहा है और ओबीवी भी बढ़ रहा है, तो यह ऊपर की ओर रुझान की पुष्टि करता है।
- विचलन: ओबीवी का उपयोग संभावित मूल्य रिवर्सल की पहचान करने के लिए किया जा सकता है। जब ओबीवी और मूल्य अलग-अलग दिशाओं में जा रहे होते हैं, तो यह एक संभावित रिवर्सल का संकेत दे सकता है।
- ब्रेकआउट: ओबीवी का उपयोग ब्रेकआउट की पुष्टि के लिए किया जा सकता है। जब ओबीवी एक प्रतिरोध स्तर को तोड़ता है, तो यह एक मजबूत बुलिश ब्रेकआउट की पुष्टि करता है।
- समर्थन और प्रतिरोध: ओबीवी का उपयोग समर्थन और प्रतिरोध स्तरों की पहचान करने के लिए किया जा सकता है। ओबीवी रेखा स्वयं समर्थन और प्रतिरोध स्तरों के रूप में कार्य कर सकती है।
यहाँ क्रिप्टो फ्यूचर्स ट्रेडिंग में ओबीवी का उपयोग करने के कुछ विशिष्ट उदाहरण दिए गए हैं:
- यदि आप एक लॉन्ग पोजीशन में प्रवेश करने पर विचार कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि ओबीवी बढ़ रहा है। यह ऊपर की ओर रुझान की पुष्टि करता है।
- यदि आप एक शॉर्ट पोजीशन में प्रवेश करने पर विचार कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि ओबीवी घट रहा है। यह नीचे की ओर रुझान की पुष्टि करता है।
- यदि आप मूल्य ब्रेकआउट देखते हैं, तो सुनिश्चित करें कि ओबीवी ब्रेकआउट की पुष्टि करता है। यदि ओबीवी ब्रेकआउट की पुष्टि नहीं करता है, तो यह एक झूठा ब्रेकआउट हो सकता है।
- ओबीवी पर समर्थन और प्रतिरोध स्तरों की तलाश करें। इन स्तरों का उपयोग संभावित प्रवेश और निकास बिंदुओं की पहचान करने के लिए किया जा सकता है।
ओबीवी की सीमाएं
जबकि ओबीवी एक उपयोगी उपकरण हो सकता है, इसकी कुछ सीमाएं भी हैं:
- गलत संकेत: ओबीवी कभी-कभी गलत संकेत दे सकता है। यह विशेष रूप से तब होता है जब बाजार साइडवेज हो रहा हो।
- विलंबित संकेत: ओबीवी एक विलंबित संकेतक है। इसका मतलब है कि यह मूल्य परिवर्तनों के बाद संकेत देता है।
- वॉल्यूम हेरफेर: वॉल्यूम को हेरफेर किया जा सकता है, जो ओबीवी की सटीकता को प्रभावित कर सकता है।
ओबीवी के साथ अन्य संकेतकों का संयोजन
ओबीवी को अन्य तकनीकी संकेतकों के साथ जोड़ना बेहतर परिणाम दे सकता है। कुछ सामान्य संयोजन में शामिल हैं:
- मूविंग एवरेज: ओबीवी को मूविंग एवरेज के साथ जोड़ा जा सकता है ताकि रुझानों की पहचान करने में मदद मिल सके।
- आरएसआई: ओबीवी को रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (आरएसआई) के साथ जोड़ा जा सकता है ताकि ओवरबॉट और ओवरसोल्ड स्थितियों की पहचान करने में मदद मिल सके।
- एमएसीडी: ओबीवी को मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डाइवर्जेंस (एमएसीडी) के साथ जोड़ा जा सकता है ताकि मूल्य गति और संभावित रिवर्सल की पहचान करने में मदद मिल सके।
- फिबोनाची रिट्रेसमेंट: फिबोनाची रिट्रेसमेंट स्तरों के साथ ओबीवी का संयोजन संभावित समर्थन और प्रतिरोध क्षेत्रों को इंगित कर सकता है।
- बोलिंगर बैंड्स: बोलिंगर बैंड्स के साथ ओबीवी का उपयोग करके अस्थिरता और संभावित ब्रेकआउट की पहचान की जा सकती है।
फायदा | नुकसान | रुझानों की पुष्टि करता है | गलत संकेत दे सकता है | संभावित रिवर्सल की पहचान करता है | विलंबित संकेतक है | ब्रेकआउट की पुष्टि करता है | वॉल्यूम हेरफेर से प्रभावित हो सकता है | समर्थन और प्रतिरोध स्तरों की पहचान करता है | साइडवेज बाजारों में कम प्रभावी |
निष्कर्ष
ओबीवी एक उपयोगी तकनीकी विश्लेषण उपकरण है जो मूल्य परिवर्तन और ट्रेडिंग वॉल्यूम के बीच संबंध को मापता है। इसका उपयोग संभावित मूल्य परिवर्तनों की भविष्यवाणी करने और ट्रेडिंग रणनीतियों में सुधार करने के लिए किया जा सकता है। हालांकि, ओबीवी की सीमाओं से अवगत होना और इसे अन्य संकेतकों के साथ जोड़ना महत्वपूर्ण है। क्रिप्टो फ्यूचर्स बाजार में व्यापार करते समय, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि कोई भी संकेतक पूरी तरह से सटीक नहीं होता है, और जोखिम प्रबंधन हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। लगातार अभ्यास और समझ के साथ, ओबीवी आपके ट्रेडिंग टूलकिट का एक मूल्यवान हिस्सा बन सकता है। रिस्क मैनेजमेंट का अभ्यास करना और अपनी ट्रेडिंग रणनीति को लगातार अनुकूलित करना भी महत्वपूर्ण है। ट्रेडिंग मनोविज्ञान को समझना भी सफल ट्रेडिंग के लिए महत्वपूर्ण है। बाजार विश्लेषण और मूल्यांकन में भी महारत हासिल करना आवश्यक है। क्रिप्टोकरेंसी बाजार की गतिशील प्रकृति को देखते हुए, पोर्टफोलियो विविधीकरण भी एक महत्वपूर्ण रणनीति है। टैक्स निहितार्थ को भी ध्यान में रखना चाहिए। रेगुलेटरी लैंडस्केप में बदलाव के बारे में अपडेट रहना भी महत्वपूर्ण है। ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का चयन करते समय सावधानी बरतें और सुरक्षा प्रोटोकॉल सुनिश्चित करें। लिक्विडिटी और स्लिपेज पर विचार करना भी महत्वपूर्ण है। आदेश प्रकार को समझना और उनका प्रभावी ढंग से उपयोग करना भी आवश्यक है। चार्ट पैटर्न की पहचान करना और उनका विश्लेषण करना भी ट्रेडिंग कौशल को बढ़ा सकता है।
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