"ऑन-चार्ट वॉल्यूम": अवतरणों में अंतर
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१९:५५, १६ मार्च २०२५ के समय का अवतरण
ऑन-चार्ट वॉल्यूम
ऑन-चार्ट वॉल्यूम, जिसे वॉल्यूम प्रोफाइल भी कहा जाता है, एक शक्तिशाली तकनीकी विश्लेषण उपकरण है जो किसी विशिष्ट समयावधि में किसी एसेट के मूल्य स्तर पर कारोबार की गई मात्रा को दर्शाता है। यह पारंपरिक वॉल्यूम इंडिकेटर से अलग है, जो केवल कुल वॉल्यूम दिखाता है, यह मूल्य के साथ वॉल्यूम वितरण पर केंद्रित है। यह जानकारी व्यापारियों को समर्थन और प्रतिरोध के क्षेत्रों की पहचान करने, संभावित ब्रेकआउट और ब्रेकडाउन की पुष्टि करने और बाजार की भावना को समझने में मदद कर सकती है। यह लेख ऑन-चार्ट वॉल्यूम की अवधारणा, इसकी व्याख्या करने के तरीके, इसके उपयोग और क्रिप्टो फ्यूचर्स ट्रेडिंग में इसकी सीमाओं का विस्तार से वर्णन करता है।
ऑन-चार्ट वॉल्यूम क्या है?
पारंपरिक वॉल्यूम इंडिकेटर, जैसे कि वॉल्यूम बार, एक निश्चित अवधि में कारोबार किए गए कुल वॉल्यूम को दर्शाते हैं। जबकि यह जानकारी उपयोगी है, यह यह नहीं बताती है कि वह वॉल्यूम किन मूल्य स्तरों पर कारोबार किया गया था। ऑन-चार्ट वॉल्यूम इस अंतर को भरकर मूल्य के प्रत्येक स्तर पर कारोबार किए गए वॉल्यूम को प्रदर्शित करता है।
ऑन-चार्ट वॉल्यूम आमतौर पर एक क्षैतिज हिस्टोग्राम के रूप में चार्ट पर प्रदर्शित होता है। हिस्टोग्राम की ऊँचाई उस मूल्य स्तर पर कारोबार किए गए वॉल्यूम की मात्रा का प्रतिनिधित्व करती है। जितना अधिक वॉल्यूम किसी विशेष मूल्य स्तर पर कारोबार किया जाता है, हिस्टोग्राम उतना ही ऊंचा होता है।
यह समझने के लिए कि ऑन-चार्ट वॉल्यूम कैसे काम करता है, एक साधारण उदाहरण पर विचार करें। मान लीजिए कि किसी एसेट का मूल्य पूरे दिन 10 डॉलर से 12 डॉलर के बीच बदलता है। पारंपरिक वॉल्यूम इंडिकेटर पूरे दिन में कारोबार किए गए कुल वॉल्यूम को दिखाएगा। ऑन-चार्ट वॉल्यूम, हालांकि, दिखाएगा कि 10 डॉलर पर कितना वॉल्यूम कारोबार किया गया, 10.50 डॉलर पर कितना, 11 डॉलर पर कितना, और इसी तरह।
ऑन-चार्ट वॉल्यूम की व्याख्या कैसे करें?
ऑन-चार्ट वॉल्यूम चार्ट को समझने के लिए, निम्नलिखित प्रमुख अवधारणाओं को समझना महत्वपूर्ण है:
- वॉल्यूम प्रोफाइल: यह एक विशिष्ट समयावधि के लिए मूल्य स्तरों पर वॉल्यूम का वितरण है। यह एक हिस्टोग्राम के रूप में प्रदर्शित होता है, जहां प्रत्येक बार एक विशिष्ट मूल्य स्तर का प्रतिनिधित्व करता है और बार की ऊंचाई उस स्तर पर कारोबार किए गए वॉल्यूम का प्रतिनिधित्व करती है।
- पॉइंट ऑफ कंट्रोल (POC): यह वह मूल्य स्तर है जिस पर अवधि के दौरान सबसे अधिक वॉल्यूम का कारोबार हुआ था। POC को अक्सर एक महत्वपूर्ण समर्थन या प्रतिरोध स्तर माना जाता है। पॉइंट ऑफ कंट्रोल बाजार गतिविधि का केंद्र है।
- वैल्यू एरिया: यह POC के आसपास का मूल्य क्षेत्र है जहां अवधि के दौरान सबसे अधिक वॉल्यूम का कारोबार हुआ था। वैल्यू एरिया आमतौर पर 70% तक के कुल कारोबार का प्रतिनिधित्व करता है। यह समर्थन और प्रतिरोध के क्षेत्र के रूप में कार्य करता है।
- हाई वॉल्यूम नोड्स (HVNs): ये वे मूल्य स्तर हैं जहां महत्वपूर्ण मात्रा में वॉल्यूम का कारोबार हुआ था। HVN संभावित पलटवार या ब्रेकआउट के क्षेत्र हो सकते हैं।
- लो वॉल्यूम नोड्स (LVNs): ये वे मूल्य स्तर हैं जहां कम मात्रा में वॉल्यूम का कारोबार हुआ था। LVN संभावित ब्रेकआउट के क्षेत्र हो सकते हैं, क्योंकि मूल्य को इन स्तरों से गुजरने के लिए बहुत अधिक प्रयास की आवश्यकता होती है।
ऑन-चार्ट वॉल्यूम का उपयोग कैसे करें?
ऑन-चार्ट वॉल्यूम का उपयोग विभिन्न प्रकार की ट्रेडिंग रणनीतियों में किया जा सकता है। कुछ सबसे सामान्य उपयोगों में शामिल हैं:
- समर्थन और प्रतिरोध की पहचान करना: HVN और वैल्यू एरिया संभावित समर्थन और प्रतिरोध स्तरों के रूप में कार्य कर सकते हैं। जब मूल्य इन स्तरों के पास पहुंचता है, तो व्यापारियों को संभावित पलटवार या ब्रेकआउट की तलाश करनी चाहिए।
- ब्रेकआउट और ब्रेकडाउन की पुष्टि करना: ऑन-चार्ट वॉल्यूम ब्रेकआउट और ब्रेकडाउन की पुष्टि करने में मदद कर सकता है। यदि मूल्य एक महत्वपूर्ण स्तर से टूटता है, लेकिन वॉल्यूम में वृद्धि नहीं होती है, तो ब्रेकआउट झूठा हो सकता है।
- बाजार की भावना को समझना: ऑन-चार्ट वॉल्यूम बाजार की भावना के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है। यदि मूल्य एक महत्वपूर्ण स्तर पर उच्च वॉल्यूम के साथ कारोबार कर रहा है, तो यह संकेत दे सकता है कि बाजार उस स्तर के बारे में दृढ़ता से महसूस करता है।
- ट्रेडिंग लक्ष्यों को निर्धारित करना: HVN और LVN संभावित ट्रेडिंग लक्ष्यों के रूप में कार्य कर सकते हैं। व्यापारी इन स्तरों का उपयोग लाभ लेने या स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करने के लिए कर सकते हैं।
- जोखिम प्रबंधन: ऑन-चार्ट वॉल्यूम का उपयोग जोखिम प्रबंधन के लिए भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, व्यापारी उन स्तरों के आसपास स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट कर सकते हैं जहां महत्वपूर्ण मात्रा में वॉल्यूम का कारोबार हुआ था।
क्रिप्टो फ्यूचर्स ट्रेडिंग में ऑन-चार्ट वॉल्यूम
क्रिप्टो फ्यूचर्स ट्रेडिंग में ऑन-चार्ट वॉल्यूम विशेष रूप से उपयोगी हो सकता है क्योंकि क्रिप्टो बाजार अत्यधिक अस्थिर हो सकते हैं। ऑन-चार्ट वॉल्यूम व्यापारियों को संभावित मूल्य आंदोलनों की पहचान करने और जोखिम का प्रबंधन करने में मदद कर सकता है।
क्रिप्टो फ्यूचर्स में ऑन-चार्ट वॉल्यूम का उपयोग करते समय, निम्नलिखित बातों पर विचार करना महत्वपूर्ण है:
- लिक्विडिटी: क्रिप्टो फ्यूचर्स बाजार विभिन्न स्तरों की लिक्विडिटी प्रदान करते हैं। उच्च लिक्विडिटी वाले बाजारों में, ऑन-चार्ट वॉल्यूम अधिक विश्वसनीय होने की संभावना है।
- मैनिपुलेशन: क्रिप्टो बाजार मैनिपुलेशन के लिए प्रवण हो सकते हैं। व्यापारियों को ऑन-चार्ट वॉल्यूम डेटा की व्याख्या करते समय इस जोखिम के बारे में पता होना चाहिए।
- समय सीमा: ऑन-चार्ट वॉल्यूम का उपयोग विभिन्न समय सीमाओं पर किया जा सकता है। हालांकि, छोटी समय सीमाओं पर डेटा कम विश्वसनीय होने की संभावना है।
लाभ | विवरण | ||||||||
समर्थन और प्रतिरोध की पहचान | महत्वपूर्ण मूल्य स्तरों को इंगित करता है जहां मूल्य पलटने या रोकने की संभावना है। | ब्रेकआउट और ब्रेकडाउन की पुष्टि | यह निर्धारित करने में मदद करता है कि मूल्य चाल मजबूत है या नहीं। | बाजार की भावना को समझना | बाजार सहभागियों की ताकत और कमजोरी को दर्शाता है। | बेहतर ट्रेडिंग निर्णय | अधिक सूचित ट्रेडिंग निर्णय लेने में मदद करता है। | जोखिम प्रबंधन | स्टॉप-लॉस और टेक-प्रॉफिट स्तरों को निर्धारित करने में मदद करता है। |
ऑन-चार्ट वॉल्यूम की सीमाएं
जबकि ऑन-चार्ट वॉल्यूम एक शक्तिशाली उपकरण है, इसकी कुछ सीमाएं हैं जिनके बारे में व्यापारियों को पता होना चाहिए:
- विलंबित डेटा: ऑन-चार्ट वॉल्यूम डेटा में देरी हो सकती है, खासकर कम लिक्विड बाजारों में।
- गलत संकेत: ऑन-चार्ट वॉल्यूम कभी-कभी गलत संकेत दे सकता है, खासकर अस्थिर बाजार स्थितियों में।
- अन्य संकेतकों के साथ संयोजन: ऑन-चार्ट वॉल्यूम को अन्य तकनीकी संकेतकों के साथ संयोजन में उपयोग किया जाना चाहिए, जैसे कि मूविंग एवरेज और आरएसआई। इसे अकेले ट्रेडिंग निर्णय लेने के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
- जटिलता: ऑन-चार्ट वॉल्यूम चार्ट को समझना और व्याख्या करना मुश्किल हो सकता है, खासकर शुरुआती लोगों के लिए।
अन्य संबंधित अवधारणाएँ
- वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP): एक मूल्य निर्धारण संकेतक जो किसी निश्चित अवधि में कारोबार किए गए औसत मूल्य को दर्शाता है, जो वॉल्यूम द्वारा भारित होता है।
- ऑर्डर फ्लो : बाजार में खरीद और बिक्री के आदेशों की गतिशीलता का विश्लेषण।
- मार्केट डेप्थ: किसी विशिष्ट मूल्य स्तर पर खरीद और बिक्री के आदेशों की मात्रा का प्रतिनिधित्व करता है।
- इम्पल्स ट्रेडिंग: उच्च वॉल्यूम के साथ तीव्र मूल्य आंदोलनों का लाभ उठाने की एक रणनीति।
- ट्रेडिंग रेंज: एक मूल्य सीमा जिसके भीतर एक संपत्ति कारोबार करती है।
- चार्ट पैटर्न: ऐतिहासिक मूल्य डेटा पर पहचाने जा सकने वाले दृश्य प्रतिनिधित्व जो भविष्य के मूल्य आंदोलनों की भविष्यवाणी करने में मदद करते हैं।
- फाइबोनैचि रिट्रेसमेंट: संभावित समर्थन और प्रतिरोध स्तरों की पहचान करने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक उपकरण।
- एलिओट वेव थ्योरी: मूल्य आंदोलनों को पहचानने और भविष्यवाणी करने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक सिद्धांत।
- बोलिंगर बैंड: मूल्य अस्थिरता को मापने और संभावित ओवरबॉट या ओवरसोल्ड स्थितियों की पहचान करने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक उपकरण।
- मैकडी (MACD): मूल्य गति और संभावित ट्रेंड परिवर्तनों की पहचान करने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक गति संकेतक।
- स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर: एक गति संकेतक जो एक निश्चित अवधि के दौरान मूल्य की सीमा के सापेक्ष समापन मूल्य की तुलना करता है।
- क्लोजिंग प्राइस एक्शन: किसी दिए गए समय अवधि के अंत में मूल्य व्यवहार का विश्लेषण।
- कैंडलस्टिक पैटर्न: मूल्य आंदोलनों को दर्शाने वाले दृश्य प्रतिनिधित्व।
- तकनीकी विश्लेषण रणनीति: लाभ उत्पन्न करने के लिए तकनीकी संकेतकों और चार्ट पैटर्न का उपयोग करने के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण।
- जोखिम लाभ अनुपात: संभावित लाभ की तुलना संभावित नुकसान से करने का एक माप।
निष्कर्ष में, ऑन-चार्ट वॉल्यूम एक मूल्यवान उपकरण है जो व्यापारियों को समर्थन और प्रतिरोध के क्षेत्रों की पहचान करने, ब्रेकआउट और ब्रेकडाउन की पुष्टि करने और बाजार की भावना को समझने में मदद कर सकता है। हालांकि, इसकी सीमाओं के बारे में पता होना और इसे अन्य तकनीकी संकेतकों के साथ संयोजन में उपयोग करना महत्वपूर्ण है। क्रिप्टो फ्यूचर्स ट्रेडिंग में, ऑन-चार्ट वॉल्यूम विशेष रूप से उपयोगी हो सकता है, लेकिन व्यापारियों को लिक्विडिटी और मैनिपुलेशन के जोखिम के बारे में पता होना चाहिए।
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